कोर्रबोरी मेंढक ऑस्ट्रेलिया के पर्वतीय, ठंडे क्षेत्रों में रहने वाली एक अद्वितीय और संकटग्रस्त उभयचर प्रजाति है। ये मेंढक मुख्य रूप से कोसियुज़्को नेशनल पार्क में पाई जाती हैं। इनकी जनसंख्या में भारी गिरावट आई है, और इन्हें संरक्षित करने के लिए व्यापक अनुसंधान और प्रजनन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन मेंढकों की आकर्षक काले और पीले रंग की धारियों वाली त्वचा दुनियाभर में प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती है।
वैज्ञानिक वर्गीकरण
- राज्य: एनिमालिया (Animalia)
- संघ: कॉर्डेटा (Chordata)
- वर्ग: उभयचर (Amphibia)
- आदेश: ऐनुरा (Anura)
- कुटुंब: मायोबात्राचिडाए (Myobatrachidae)
- जीनस: प्सूडोफ्राइन (Pseudophryne)
- वैज्ञानिक नाम: Pseudophryne pengilleyi
विवरण
कोर्रबोरी मेंढक में कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं जो इसे एक अद्वितीय उभयचर प्रजाति बनाते हैं।
- रंग: इन मेंढकों की त्वचा पर काले और पीले रंग की धारियाँ होती हैं। इसके पेट की त्वचा काले और सफेद या पीले और काले रंग की संयोजन में होती है। उत्तरी प्रजातियों में पीली-हरे रंग की पतली धारियाँ होती हैं, जो इन्हें दक्षिणी प्रजातियों से अलग करती हैं।
- संरचना: इनकी त्वचा की बनावट बहुत विशेष होती है – इनका पीठ हिस्सा खुरदरा होता है, जबकि पेट का हिस्सा चिकना होता है।
- आकार: दक्षिणी कोर्रबोरी मेंढक की लंबाई आमतौर पर 2.5 से 3 सेंटीमीटर के बीच होती है, और नर आमतौर पर मादा से छोटे होते हैं। उत्तरी प्रजातियाँ अधिक लघु होती हैं, जो दक्षिणी प्रजातियों से अधिक छोटी होती हैं।
- पैर: अधिकांश मेंढकों के विपरीत, कोर्रबोरी मेंढक के पंजों में जाल नहीं होते, जो इसे अन्य उभयचरों से अलग करता है।
वितरण
कोर्रबोरी मेंढक का वितरण बहुत सीमित है, और यह मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया के पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है। दक्षिणी कोर्रबोरी मेंढक केवल कोसियुज़्को नेशनल पार्क के बर्फीले पर्वतों में पाया जाता है, जबकि उत्तरी प्रजातियाँ ब्रिंडाबेला रेंज और फ़ायरि रेंज के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती हैं। ये उभयचर आमतौर पर 1300 मीटर से ऊपर की ऊँचाई पर रहते हैं।
आवास
- उत्तर कोर्रबोरी मेंढक: ये प्रजातियाँ उप-पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं, और इनका पसंदीदा प्रजनन स्थल वे जलाशय होते हैं जिनकी गहराई कम और सतह क्षेत्र विस्तृत होता है। प्रजनन के बाद ये लकड़ी के ढेरों और पत्तों के नीचे शरण लेते हैं।
- दक्षिण कोर्रबोरी मेंढक: ये बर्फीले पेड़ों और उच्च ऊँचाई वाली जंगलों में बसे होते हैं, खासकर ऐसे क्षेत्रों में जहाँ पीट की झीलें और दलदल होते हैं। ये प्रजातियाँ लगभग 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पाई जाती हैं।
प्रजनन और जीवन चक्र
कोर्रबोरी मेंढकों का प्रजनन मौसम के हिसाब से होता है, और नर और मादा प्रजनन के दौरान विभिन्न स्थानों पर आते हैं। ये प्रजनन के बाद 300 मीटर से अधिक की दूरी तक प्रवास कर सकते हैं। नर मादा को आकर्षित करने के लिए विशिष्ट आवाज़ें निकालते हैं। मादा एक बार में 35 अंडे देती हैं, और कई मादाएं एक ही नर के बिल में अंडे देती हैं। अंडों से टेडपोल (मेंढक के लार्वा) निकलने में लगभग 7-8 महीने का समय लगता है।
आहार
कोर्रबोरी मेंढक के जीवन चक्र में आहार की आदतें बदलती रहती हैं। टेडपोल के रूप में ये शैवाल और जैविक सामग्री खाते हैं, जबकि वयस्क होने पर ये कीटों के अंडों, बीटल्स, चींटियों, और माइट्स जैसे विविध इनवर्टेब्रेट्स को खाते हैं। सर्दियों में इनकी आहार संबंधी गतिविधियाँ काफी कम हो जाती हैं या बिल्कुल समाप्त हो जाती हैं।
अनुकूलन
दक्षिणी कोर्रबोरी मेंढक अपने पर्वतीय आवास में जीवित रहने के लिए विशेष अनुकूलन विकसित कर चुका है। इनमें एक प्रमुख विशेषता यह है कि इनके शरीर पर विषाक्त पदार्थ (एलकलॉइड्स) का स्राव होता है, जो इन्हें शिकारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा, ये उरिक एसिड को पानी की तरह संचित कर सकते हैं, जिससे ये आवश्यकता पड़ने पर नमी प्राप्त कर सकते हैं।
जीवनकाल
कोर्रबोरी मेंढक का सामान्य जीवनकाल लगभग 5 वर्ष होता है। सर्दियों में ये हाइबरनेशन में चले जाते हैं और पत्तों या पेड़ की छाल के नीचे शरण लेते हैं।
शिकार और प्राकृतिक शत्रु
इनमें से कुछ शिकारियों में पक्षी और मछलियाँ शामिल हैं, लेकिन ये शिकार बहुत कम करते हैं। इनमें एक जटिल जीवन चक्र होने के कारण इनकी जनसंख्या बढ़ने में समस्या आती है। अंडे देने की सीमित क्षमता और लंबी परिपक्वता अवधि के कारण इनकी जनसंख्या को स्थिर बनाए रखना कठिन है। इसके अलावा, फंगल संक्रमण और मानव गतिविधियाँ भी इनके अस्तित्व के लिए खतरे का कारण बन रही हैं।
संरक्षण स्थिति
कोर्रबोरी मेंढक को IUCN (International Union for Conservation of Nature) द्वारा गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) श्रेणी में रखा गया है। उनकी आबादी में भारी गिरावट आई है, जिसके कारण इन्हें संरक्षित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ बनाई गई हैं, जिनमें कैद में प्रजनन और अन्य विशिष्ट बचाव कार्यक्रम शामिल हैं।
क्यों कोर्रबोरी मेंढक संकटग्रस्त हैं?
विभिन्न प्राकृतिक कारणों के अलावा, उत्तर प्रजातियों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन दक्षिणी प्रजातियाँ अधिक गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हैं। इनकी संख्या में कमी का मुख्य कारण आवासीय नुकसान, जलवायु परिवर्तन और फंगल संक्रमण है। इनकी रक्षा के लिए विशेष संरक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
कोर्रबोरी मेंढकों की संख्या
वर्तमान में, दक्षिणी कोर्रबोरी मेंढक की लगभग 150 individuals ही बची हैं, और इनकी संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है।
रोचक तथ्य:
- नर कोर्रबोरी मेंढक अंडों की रक्षा करने के लिए बुरे में रहते हैं।
- इनकी अनोखी विषाक्त त्वचा होती है, जो इन्हें शिकारियों से बचाती है।
- इनकी अद्वितीय पैटर्न वाली त्वचा को आदिवासी “कोर्रबोरी” समारोह से जोड़ा जाता है।
- इनके प्रजनन स्थलों की पहचान वैज्ञानिकों द्वारा की गई है।
निष्कर्ष:
कोर्रबोरी मेंढक ऑस्ट्रेलिया के अद्वितीय और महत्वपूर्ण प्रजाति हैं। इनकी वृद्धि और अस्तित्व के लिए संरक्षण कार्यों की अत्यधिक आवश्यकता है, ताकि ये अपने प्राकृतिक आवासों में फिर से बढ़ सकें और जैव विविधता में योगदान दे सकें।
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