अफ्रीकी क्लॉड मेंढ़क

अफ्रीकी नट कैटफिश (Xenopus laevis) एक अद्वितीय जलजीव उभयचर प्रजाति है जो अफ्रीका में पाई जाती है। यह मेंढक अपने विशिष्ट शारीरिक लक्षणों और दिलचस्प व्यवहार के लिए जाना जाता है। “नट कैटफिश” नाम इसके पैरों में पाए जाने वाले विशेष नाखूनों से आया है, जो इस प्रजाति को अन्य मेंढकों से अलग पहचान देते हैं।

वैज्ञानिक वर्गीकरण

  • राज्य: पशु राज्य
  • संघ: कशेरुकी संघ
  • कक्षा: उभयचर
  • ऑर्डर: मेंढक (Anura)
  • परिवार: पीपिडे (Pipidae)
  • जीनस: Xenopus
  • प्रजाति: Xenopus laevis

शारीरिक लक्षण

अफ्रीकी नट कैटफिश का सिर छोटा होता है और शरीर के मुकाबले उसकी त्वचा चिकनी और गीली होती है। अन्य मेंढकों के विपरीत, इसके पास बाहरी कान नहीं होते, और इसके आंखों के ऊपर एक सुरक्षात्मक आवरण होता है।

  • आकार: नर की लंबाई लगभग 5–6 सेंटीमीटर (2-2.4 इंच) होती है, जबकि मादा की लंबाई 10–12 सेंटीमीटर (4-4.7 इंच) होती है।
  • वजन: नर का वजन लगभग 60 ग्राम (2.1 आउंस) होता है, जबकि मादा का वजन 200 ग्राम (7 आउंस) तक हो सकता है।
  • रंग: सामान्यतः भूरे या जैतून रंग के होते हैं, जबकि पेट का रंग क्रीम या पीले रंग का होता है।
    अफ्रीकी नट कैटफिश के आगे के पैर छोटे होते हैं और उंगलियाँ एक दूसरे से जुड़ी नहीं होती हैं, इन्हें मुख्य रूप से भोजन को मुँह में डालने के लिए उपयोग किया जाता है। वहीं, इसके पीछे के पैर बहुत बड़े होते हैं, जिनमें एक जालदार संरचना होती है और तीन उंगलियाँ होती हैं, जिनमें प्रत्येक पैर में नाखून जैसी संरचनाएँ होती हैं।

वितरण और आवास

अफ्रीकी नट कैटफिश दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, और अंगोला जैसे अफ्रीकी देशों में पाई जाती है। यह मेंढक शांत झीलों और दलदली क्षेत्रों में रहते हैं और ऐसी नदियों के किनारे पर पसंद करते हैं, जिनमें हल्की धारा होती है। पानी का तापमान 16 से 27 डिग्री सेल्सियस (61 से 81 डिग्री फ़ारेनहाइट) के बीच होना चाहिए।

आहार और शिकार करने की आदतें

अफ्रीकी नट कैटफिश रात में सक्रिय रहती है और मांसाहारी होती है, जिसका आहार मुख्यतः छोटे मछली, कीड़े, क्रस्टेशियन्स और लार्वा पर आधारित होता है। यह सड़न वाले जैविक पदार्थ और कीड़े भी खाती है।
यह मेंढक अपने अत्यधिक संवेदनशील नाखूनों का उपयोग करके कंपन और गंध का पता लगाती है और भोजन खोजने की क्षमता रखती है। इसकी ग्रासनली प्रणाली शिकार को मुंह में खींचने में मदद करती है।

कैनिबलिज़्म

अफ्रीकी नट कैटफिश विशेष परिस्थितियों में कैनिबलिज़्म का अभ्यास करती है, विशेष रूप से जब भोजन की कमी होती है। यह व्यवहार जीवित रहने के लिए आवश्यक है जब पर्यावरण संसाधनों की कमी होती है।

प्रजनन और जीवन चक्र

अफ्रीकी नट कैटफिश अन्य मेंढकों के मुकाबले अधिक चुपचाप प्रजनन करती है। नर अपने गले में स्थित वाइब्रेशन उत्पन्न करता है, जो पानी में एक कीट जैसी आवाज पैदा करता है। मादा इस ध्वनि का जवाब देती है और नर के पास आती है।

  • रिचुअल: नर मादा को आकर्षित करने के लिए ध्वनियों का उत्सर्जन करता है।
  • अंडे: मादा एक बार में 500-2000 अंडे देती है।
  • ततैया: ये तितर-बितर होते हैं और 6 से 8 सप्ताह में मेंढक के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।

आयु

अफ्रीकी नट कैटफिश का जीवनकाल औसतन 5 से 15 साल होता है, लेकिन कुछ व्यक्तियों में यह 30 साल तक बढ़ सकता है।

अनुकूलन क्षमता

यह मेंढक विभिन्न प्रकार के वातावरण में अनुकूलन करने की उच्च क्षमता रखता है और यह उच्च लवणता वाले जल में भी जीवित रह सकता है। इसके अलावा, यह कठोर वातावरण परिवर्तनों के साथ भी जीवित रह सकता है और सूखा पड़ने पर एक साल तक आराम की स्थिति में चला जाता है।

पालतू के रूप में रख-रखाव

अफ्रीकी नट कैटफिश को पालना आसान होता है और यह कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है। यदि सही तरीके से रखा जाए, तो यह एक बेहतरीन पालतू बन सकता है। इसे कोई विशेष रोशनी या तापमान नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती, और सामान्य तापमान (20–24 डिग्री सेल्सियस) में पाला जा सकता है।

  • आक्वेरियम: पानी में ताकतवर फिल्टर की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यदि फिल्टर नहीं है, तो नियमित रूप से पानी बदलने की जरूरत होती है।
  • खानपान: सप्ताह में 3-4 बार मछली, कीड़े और झींगे का मिश्रण दिया जाता है।
  • साथी: अन्य जानवरों के साथ पालने के दौरान ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अफ्रीकी नट कैटफिश छोटे मछलियों को खा सकती है।

बीमारी

यह मेंढक रेड-फुट सिंड्रोम और फंगस इंफेक्शन जैसी बीमारियों से प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, उभयचरों में होने वाली चिट्रिडियम रोग (मेंढकों का फंगल संक्रमण) इस प्रजाति के लिए भी एक खतरा है।

संरक्षण स्थिति

अफ्रीकी नट कैटफिश को IUCN (International Union for Conservation of Nature) द्वारा “सुरक्षित नहीं” के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह व्यापक रूप से फैल चुकी है और विभिन्न प्रकार के वातावरण में अनुकूलित हो सकती है, इसलिए इसके अस्तित्व की संख्या अभी स्थिर है।

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